मणिमहेश यात्रा भाग -5
साय के लगभग चार बजे थे।अब ठण्ड बढ़ गई थी गौरीकुंड मुझसे मात्र 2km था। अब शायद मेरे साथ चलने वाले सारे आदमी लगभग रेग रहे थे ।मतलब अब अगर 100 मीटर भी कोई चल लेता था तो बहुत बड़ी बात थी।
मेरी हालत अब और ख़राब हो गई थी। मुझे मेरी गलती का बहुत बड़ा पछतावा हो रहा था। ठण्ड से एक और जहा ठिठुरन बढ़ गई थी वही दूसरी और भूख भी मेरा मनोबल लगभग तोड़ चुकी थी। मैं एक पहाड़ पर असहाय था।एक अबोध की तरहा।अब शरीर में एक कदम भी चलने की हिम्मत नहीं थी। मैं अब तक दो खच्चर वालो को पूछ चूका था गोरिकुड तक जाने के लिए। दोनों त्यार भी हो गए लेकिन जब मैने उन्हें बताया कि मेरे पास पैसे नहीं है ।मै आप को ऊपर जाने के बाद दूंगा ।तो उन्होंने मना कर दिया ।
मैने अंदाजा लगाया की अगर मैं गोरीकुड भी पहुचता हु तो मुझे इस हालत में 8 बज जायेगे । और कुछ देर बाद वहां का तापमान जमाव बिंदु से नीचे जाने वाला था। मतलब अगले दो घंटे बाद मेरी जान पर बन आने वाली थी।मै जानता था कोई भी सहायता मुझ गोरिकुड से पहले नहीं मिलने वाली थी।मेरे होठ सुख चुके थे।मुझे साँस लेंने में तकलीफ हो रही थी।मै जानता था कि अगर मैं इस हालत में रहा तो थोड़ी देर बाद मैं कई लोगो के लिए मुसीबत बनने वाला था।
जब जान पर बनी हो तो जमीर भी मारना पड़ता है और उस वख्त मै उस पहाड़ पर बैठा यही कुछ सोचा।और मैने एक खच्चर वाले को 500 रूपये में किराए किया ये जानते हुए भी की अगर मेरे साथ वाले गोरी कुंड पर नहीं मिले तो क्या होगा ।
उस वख्त मै खच्चर पर बैठे बैठे मै सोच रहा था कि अगर मैं इस खच्चर वाले को सच बताता तो मेरी जान पर बन आएगी और अगर मैं झूठ बोलता हूं तो मुझे मेरा जमीर गवाई नहीं देता पर मै क्या करता ।मैने भोले नाथ को प्राथना की के हे भोले मेरी आज लाज रख ले ।मेरे साथ वाले बस मुझे मिल जाये यही दुआ है ।वरना आज तो तेरी इस धरती पर मेरी लाज जायेगी।फिर दूसरे पल सोचता की अच्छा रहता मै इस पर चढ़ाता ही नहीं।कम से कम किसी के आगे अपना मान तो रहता।
जैसे जैसे गोरिकुण्ड करीब आया तो सिर्फ एक टीशर्ट पहना मेरा बदन उन बर्फीली वादियों में कंपकपा रहा था ।दाँत ऐसे कटकटा रहे थे जैसे आज ये टूटकर ही दम लेंगे। पर मुझे इन की परवा नहीं थी ।मुझे तो ये चिन्ता थी की गौरीकुण्ड पहुच कर क्या होगा।और मेरा चिन्ता सच साबित हुई ।जैसे ही मैं गोरी कुण्ड पंहुचा मैने उसे अपने हालात बताये और पांच मिनट में पैसे देने का बोल कर मैं गोरी कुंड के चपे चपे को देखने लगा । मेरा बदन उस कड़ाके की ठण्ड में अब जबाब देने वाला था ।मैंने पुरे दो चक्कर गौरीकुण्ड की उस पहाड़ी पर लगाये । लेकिन मुझे निराशा के सिवा कुछ नहीं दिखाई दिया। अब मैं उस खच्चर वाले के सामने आत्मसमर्पण करने जा रहा था। वो सामने था और मैं निरुत्तर की आखिर इस को क्या कहूं। अंतिम में मैने उसे मेरे हालात के बारे में बताया । और कहा की भाई मेरे साथ वाले ऊपर मणिमहेश में गए । लेकिन वो नहीं माना उसे उस के पैसे से मतलब था। आख़िरकार वहां एक टेंट में बैठे एक दुकानदार के सामने मैने अपनी हालात बताई वो देखते ही समझ गया ।मैने उसे कहा कि अब अँधेरा घिर आया है अब ये भी नीचे जायेगा और मैं भी ऊपर जाऊँगा ।सुबह मै आप को पैसे दूँगा ये आ कर ले जाएंगे। उस दुकानदार ने कहा कि अगर ये ना भी देगे पैसे तो सुबह मुझ से ले जाना । मै उस दुकानदार की इस बात पर गदगद हो गया। मैने पाया ये दुनिया सचमुच अगर जीने लायक है तो वो ऐसे इंसानो की बदौलत ।
अब साय के छः बज चुके थे अँधेरा इन बर्फीली वादियों को अपने आगोश में लेने वाला था। मेरा ध्यान अब शिवकुण्ड की और हुआ अभी मुझे 1 km और चढ़ाना था मैं जानता था कि अगर मामाजी यहाँ नहीं है तो वो ऊपर ही मिलेंगे । मै रुका नहीं एक अंतिम बार शरीर को उस चढ़ाई के लिए तैयार किया । खुद से जिद की ओर उस चढ़ाई को एक चुनोती समझ कर बहुत तेजी से चला ।
ये मेरी यात्रा का अंतिम पड़ाव था जब मुझे शिवकुण्ड दिख रहा था। मैं शिवकुण्ड की उस पहाड़ी के ठीक नीचे खड़ा था। मैं भूखा था प्यासा था शरीर थक गया था सास फूल गई थी। होठ पर पपड़ी जम गई थी।और जो मुझे अंदर तक तोड़ चुकी थी वो थी ठण्ड।हर आता जाता मुझे घूर रहा था।क्योंकि मेरे बदन पर सिर्फ एक टीशर्ट थी । इस हालत में शायद कोई पागल होगा जो ऐसे यात्रा करे। पर मेरा दिमाग अब काम करना बंद कर रहा था ।मुझे बस झुंझलाहट हो रही थी की आखिर मेरे लिए गौरीकुण्ड में कोई क्यों नहीं रुका ।
आख़िरकार पहाड़ी पर चढ़ते हुए एक बार मैंने एक नजर फिर ऊपर उठाई और एक आदमी मेरी और जोर जोर से हाथ हिला रहा है । मैने ध्यान से देखा वो मामाजी ही थे ।ओह माँ जैसे मामा उस पल को मै शब्दो में नहीं कह सकता ।दोस्तों दिल से कहु तो इतनी परेशानियों के बाद जब वो हाथ हिलाते दिखे तो उस वख्त मेरे आंसू निकल पड़े। ख़ुशी के आंसू। एक बिजली सी दौड़ी शरीर में और मैं बस पांच मिनट में चढ़ गया । उन्होंने मुझे लगभग जैसे बाहो में ले लिया। और एक टेण्ट की तरफ ले गए । उन्होंने बताया कि सब की हालत बहुत ख़राब है । सब बेसूद सो गए है उल्टियां कर के हालात खराब हैं । और ये बात सही थी ।मामाजी के सिवा और कोई नहीं था बाहर।वो सिर्फ मेरे लिए खड़े थे ।ओह मुझे बहुत अच्छा लगा ।लेकिन मैं भी बात करने की हालत में नहीं था। जैसे ही मैं टेण्ट में घुसा मुझ पर लगभग 6 कम्बल डाली गई । लेकिन अब मुझे और ठण्ड लगने लग गई ।करीबन रात 9 बजे बारिश और तेज हवाएं चालू हो गई। मुझे बहुत तेज बुखार आ गया ।
मैने मामाजी को जगाया की अब सहन नहीं होता ।कुछ करो तो वो बेचारे भी कुछ इसी हालात से गुजर रहे थे । फिर भी उन्होंने मेरे हाथ रगड़े ।मुझे अपनी रजाई में लिया इस तरह कोई घटा भर हुआ होगा की मेरी हालात फिर से ख़राब इस बार मामाजी मेरे लिए खाना लाये और दूध भी मैने एक रोटी और दूध पिया ।पर सारी रात बारिश और ठण्ड हम पर कहर ढाती रही ।मुझे खाना खिलाने के बाद मामाजी की भी तबियत खराब हो गई । पर मै और वो बहुत लाचार थे । वो रात मेरे जीवन की सबसे लम्बी रात रही।
सुबह उठ कर पूनम जी ने सरोवर में डुबकी लगाई ।लेकिन हम में से किसी की भी हिम्मत नहीं हुई ।किसी ने अपने पाव डूबोये किसी ने हाथ ।और कुछ तो दूर से ही बम भोले कह गए।
Post लम्बी हो गई है इस लिए कल के अंतिम भाग में वहां से वापसी हैलीकोप्टर यात्रा व् यात्रा के बारे में जरुरी जानकारी और खर्च का विवरण लिखुगा । तब तक के लिए जय बम भोले।
#manimahesh
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साय के लगभग चार बजे थे।अब ठण्ड बढ़ गई थी गौरीकुंड मुझसे मात्र 2km था। अब शायद मेरे साथ चलने वाले सारे आदमी लगभग रेग रहे थे ।मतलब अब अगर 100 मीटर भी कोई चल लेता था तो बहुत बड़ी बात थी।
मेरी हालत अब और ख़राब हो गई थी। मुझे मेरी गलती का बहुत बड़ा पछतावा हो रहा था। ठण्ड से एक और जहा ठिठुरन बढ़ गई थी वही दूसरी और भूख भी मेरा मनोबल लगभग तोड़ चुकी थी। मैं एक पहाड़ पर असहाय था।एक अबोध की तरहा।अब शरीर में एक कदम भी चलने की हिम्मत नहीं थी। मैं अब तक दो खच्चर वालो को पूछ चूका था गोरिकुड तक जाने के लिए। दोनों त्यार भी हो गए लेकिन जब मैने उन्हें बताया कि मेरे पास पैसे नहीं है ।मै आप को ऊपर जाने के बाद दूंगा ।तो उन्होंने मना कर दिया ।
मैने अंदाजा लगाया की अगर मैं गोरीकुड भी पहुचता हु तो मुझे इस हालत में 8 बज जायेगे । और कुछ देर बाद वहां का तापमान जमाव बिंदु से नीचे जाने वाला था। मतलब अगले दो घंटे बाद मेरी जान पर बन आने वाली थी।मै जानता था कोई भी सहायता मुझ गोरिकुड से पहले नहीं मिलने वाली थी।मेरे होठ सुख चुके थे।मुझे साँस लेंने में तकलीफ हो रही थी।मै जानता था कि अगर मैं इस हालत में रहा तो थोड़ी देर बाद मैं कई लोगो के लिए मुसीबत बनने वाला था।
जब जान पर बनी हो तो जमीर भी मारना पड़ता है और उस वख्त मै उस पहाड़ पर बैठा यही कुछ सोचा।और मैने एक खच्चर वाले को 500 रूपये में किराए किया ये जानते हुए भी की अगर मेरे साथ वाले गोरी कुंड पर नहीं मिले तो क्या होगा ।
उस वख्त मै खच्चर पर बैठे बैठे मै सोच रहा था कि अगर मैं इस खच्चर वाले को सच बताता तो मेरी जान पर बन आएगी और अगर मैं झूठ बोलता हूं तो मुझे मेरा जमीर गवाई नहीं देता पर मै क्या करता ।मैने भोले नाथ को प्राथना की के हे भोले मेरी आज लाज रख ले ।मेरे साथ वाले बस मुझे मिल जाये यही दुआ है ।वरना आज तो तेरी इस धरती पर मेरी लाज जायेगी।फिर दूसरे पल सोचता की अच्छा रहता मै इस पर चढ़ाता ही नहीं।कम से कम किसी के आगे अपना मान तो रहता।
जैसे जैसे गोरिकुण्ड करीब आया तो सिर्फ एक टीशर्ट पहना मेरा बदन उन बर्फीली वादियों में कंपकपा रहा था ।दाँत ऐसे कटकटा रहे थे जैसे आज ये टूटकर ही दम लेंगे। पर मुझे इन की परवा नहीं थी ।मुझे तो ये चिन्ता थी की गौरीकुण्ड पहुच कर क्या होगा।और मेरा चिन्ता सच साबित हुई ।जैसे ही मैं गोरी कुण्ड पंहुचा मैने उसे अपने हालात बताये और पांच मिनट में पैसे देने का बोल कर मैं गोरी कुंड के चपे चपे को देखने लगा । मेरा बदन उस कड़ाके की ठण्ड में अब जबाब देने वाला था ।मैंने पुरे दो चक्कर गौरीकुण्ड की उस पहाड़ी पर लगाये । लेकिन मुझे निराशा के सिवा कुछ नहीं दिखाई दिया। अब मैं उस खच्चर वाले के सामने आत्मसमर्पण करने जा रहा था। वो सामने था और मैं निरुत्तर की आखिर इस को क्या कहूं। अंतिम में मैने उसे मेरे हालात के बारे में बताया । और कहा की भाई मेरे साथ वाले ऊपर मणिमहेश में गए । लेकिन वो नहीं माना उसे उस के पैसे से मतलब था। आख़िरकार वहां एक टेंट में बैठे एक दुकानदार के सामने मैने अपनी हालात बताई वो देखते ही समझ गया ।मैने उसे कहा कि अब अँधेरा घिर आया है अब ये भी नीचे जायेगा और मैं भी ऊपर जाऊँगा ।सुबह मै आप को पैसे दूँगा ये आ कर ले जाएंगे। उस दुकानदार ने कहा कि अगर ये ना भी देगे पैसे तो सुबह मुझ से ले जाना । मै उस दुकानदार की इस बात पर गदगद हो गया। मैने पाया ये दुनिया सचमुच अगर जीने लायक है तो वो ऐसे इंसानो की बदौलत ।
अब साय के छः बज चुके थे अँधेरा इन बर्फीली वादियों को अपने आगोश में लेने वाला था। मेरा ध्यान अब शिवकुण्ड की और हुआ अभी मुझे 1 km और चढ़ाना था मैं जानता था कि अगर मामाजी यहाँ नहीं है तो वो ऊपर ही मिलेंगे । मै रुका नहीं एक अंतिम बार शरीर को उस चढ़ाई के लिए तैयार किया । खुद से जिद की ओर उस चढ़ाई को एक चुनोती समझ कर बहुत तेजी से चला ।
ये मेरी यात्रा का अंतिम पड़ाव था जब मुझे शिवकुण्ड दिख रहा था। मैं शिवकुण्ड की उस पहाड़ी के ठीक नीचे खड़ा था। मैं भूखा था प्यासा था शरीर थक गया था सास फूल गई थी। होठ पर पपड़ी जम गई थी।और जो मुझे अंदर तक तोड़ चुकी थी वो थी ठण्ड।हर आता जाता मुझे घूर रहा था।क्योंकि मेरे बदन पर सिर्फ एक टीशर्ट थी । इस हालत में शायद कोई पागल होगा जो ऐसे यात्रा करे। पर मेरा दिमाग अब काम करना बंद कर रहा था ।मुझे बस झुंझलाहट हो रही थी की आखिर मेरे लिए गौरीकुण्ड में कोई क्यों नहीं रुका ।
आख़िरकार पहाड़ी पर चढ़ते हुए एक बार मैंने एक नजर फिर ऊपर उठाई और एक आदमी मेरी और जोर जोर से हाथ हिला रहा है । मैने ध्यान से देखा वो मामाजी ही थे ।ओह माँ जैसे मामा उस पल को मै शब्दो में नहीं कह सकता ।दोस्तों दिल से कहु तो इतनी परेशानियों के बाद जब वो हाथ हिलाते दिखे तो उस वख्त मेरे आंसू निकल पड़े। ख़ुशी के आंसू। एक बिजली सी दौड़ी शरीर में और मैं बस पांच मिनट में चढ़ गया । उन्होंने मुझे लगभग जैसे बाहो में ले लिया। और एक टेण्ट की तरफ ले गए । उन्होंने बताया कि सब की हालत बहुत ख़राब है । सब बेसूद सो गए है उल्टियां कर के हालात खराब हैं । और ये बात सही थी ।मामाजी के सिवा और कोई नहीं था बाहर।वो सिर्फ मेरे लिए खड़े थे ।ओह मुझे बहुत अच्छा लगा ।लेकिन मैं भी बात करने की हालत में नहीं था। जैसे ही मैं टेण्ट में घुसा मुझ पर लगभग 6 कम्बल डाली गई । लेकिन अब मुझे और ठण्ड लगने लग गई ।करीबन रात 9 बजे बारिश और तेज हवाएं चालू हो गई। मुझे बहुत तेज बुखार आ गया ।
मैने मामाजी को जगाया की अब सहन नहीं होता ।कुछ करो तो वो बेचारे भी कुछ इसी हालात से गुजर रहे थे । फिर भी उन्होंने मेरे हाथ रगड़े ।मुझे अपनी रजाई में लिया इस तरह कोई घटा भर हुआ होगा की मेरी हालात फिर से ख़राब इस बार मामाजी मेरे लिए खाना लाये और दूध भी मैने एक रोटी और दूध पिया ।पर सारी रात बारिश और ठण्ड हम पर कहर ढाती रही ।मुझे खाना खिलाने के बाद मामाजी की भी तबियत खराब हो गई । पर मै और वो बहुत लाचार थे । वो रात मेरे जीवन की सबसे लम्बी रात रही।
सुबह उठ कर पूनम जी ने सरोवर में डुबकी लगाई ।लेकिन हम में से किसी की भी हिम्मत नहीं हुई ।किसी ने अपने पाव डूबोये किसी ने हाथ ।और कुछ तो दूर से ही बम भोले कह गए।
Post लम्बी हो गई है इस लिए कल के अंतिम भाग में वहां से वापसी हैलीकोप्टर यात्रा व् यात्रा के बारे में जरुरी जानकारी और खर्च का विवरण लिखुगा । तब तक के लिए जय बम भोले।
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